आदमी का आदमी बने रहना जैसे जरूरी है जूतों का पाँव में बने रहना जूते और आदमी दोनों ही..... आदमी का आदमी बने रहना जैसे जरूरी है जूतों का पाँव में बने रहना जूते और आदमी दोनो...
दादी उस दौर में शायद हमको बेहद चाहती थी। दादी उस दौर में शायद हमको बेहद चाहती थी।
हम "निशा" में संजीदगी के निशां छोड़ गए। हम "निशा" में संजीदगी के निशां छोड़ गए।
जल्द नफ़रत के अंधेर गलियों से छूट मिल जाए। जल्द नफ़रत के अंधेर गलियों से छूट मिल जाए।
और उस एक को छोड़कर बाकी सब के लिए वो दरवाज़े बंद कर देते हैं। और उस एक को छोड़कर बाकी सब के लिए वो दरवाज़े बंद कर देते हैं।